हमारे नबी की शान में गुस्ताखी करने वाले लोग ये कह कर उन्हें बदनमाम करने की कोशिश करते हैं की नबी ने नौ साल की बच्ची से शादी की क्यों के (अल्लाह माफ़ करे) वो नफ़्सानी ख्वाहिशात पूरी करना चाहते थे.. मगर सच ये है:
1️⃣ हमारे मेरे प्यारे नबी ﷺ ने 25 साल की उम्र में एक बुजुर्ग विधवा हज़रत खदीजा से शादी की जो 40 वर्ष की थीं और हमारे नबी 25 वर्ष के थे। जब तक हज़रत खदीजा जीवित रही प्यारे नबी ने ﷺ कोई दूसरी शादी नहीं की। 50 वर्ष की आयु तक हमारे नबी की एक ही पत्नी थीं। सोचने वाली बात ये है अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहे तो वह अपनी जवानी के 25 वर्ष विधवा के साथ क्यों बिताएगा?) और आज भी आप में से कौन ऐसा 25 साल का युवक है जो 40 वर्ष की विधवा से विवाह करेगा….?
2️⃣ मुसलमानो पर थोपी गयी पहली जंग “उहूद की लड़ाई” में हमारे नबी के सत्तर साथी (सहाबा) शहीद हो गए थे । आधे से अधिक परिवारों के अनाथों और विधवाओं का कोई सहारा नहीं था। इस समस्या को हल करने के लिए पैगंबर ﷺ ने अपने साथियों को एक-एक विधवा से शादी करने के लिए कहा। लोगो को प्रेरित करने के लिए हमारे नबी ﷺ ने खुद कई निकाह किये और उनकी देखा देखि और भी कई अनाथों और बेवा औरतो को सहारा मिला ।
3️⃣ अरबों में यह प्रथा थी कि कोई व्यक्ति किसी का दामाद बनेगा तो उसके खिलाफ जंग नहीं लड़ सकते क्यों की ये सम्मान के खिलाफ माना जाए। हमारे नबी ने अमन कायम करने के लिए निकाह किये। जैसे इस्लाम कबूल करने से पहले अबू सुफियान हमारे पैगंबर ﷺ के कट्टर विरोधी थे… लेकिन जब उनकी बेटी उम्म हबीबा की शादी पवित्र पैगंबर से हुई, तो यह दुश्मनी कम हो गई। हुआ ये कि उम्म हबीबा ने इस्लाम क़ुबूल कर लिया और अपने मुस्लिम पति के साथ एबिसिनिया चली गईं, जहां उनके पति ईसाई बन गए। हज़रत उम्म हबीबा उनसे अलग हो गयीं और बड़ी मुश्किल से घर पहुंची। पैगंबर ने उन्हें दिलासा दिआ और एबिसिनिया के राजा के माध्यम से उनसे निकाह किया
4️⃣ हज़रत जवरिया के पिता ‘मुस्तलिक’ कबीले के मुखिया थे। यह जनजाति मक्का और मदीना के बीच रहती थी. इस जनजाति से जंग हुई तो उनका नेता मारा गया। हज़रत जवरिया को कैद कर लिया गया । नबी के साथियों ने परामर्श के बाद सरदार की बेटी का निकाह पैगंबर ﷺ से कर दिआ और इस शादी के आशीर्वाद से इस जनजाति के सैकड़ों परिवार स्वतंत्र हो गए और दुश्मनी भी ख़तम हो गयी ।
5️⃣ खैबर के युद्ध में एक यहूदी सरदार की बेटी हजरत साफिया बंदी बन गयी. नबी के साथियों की सलाह पर पवित्र पैगंबर के साथ उनका निकाह किया गया । इसी तरह हज़रत मैमुना से विवाह करने से नजद के इलाके में अम्न-शांति और इस्लाम फैल गया।
इन विवाहों का उद्देश्य लोगों को पवित्र पैगंबर के करीब लाना, पैगंबर की नैतिकता का पालन करना था ताकि उन्हें मार्गदर्शन मिल सके।
6️⃣ हजरत मारिया (रजि.) से शादी भी इसी कड़ी में थी । वह एक पूर्व ईसाई थीं और एक शाही परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उन्हें बीजान्टिन राजा शाह मुकाव्कस ने नबी ﷺ की सेवा के लिए एक उपहार के रूप में भेजा था परन्तु नबी ने उन्हें ग़ुलाम रखने के बजाये अपनी पत्नी होने का मुक़ाम दिया । हजरत ज़ैनब बिन्त जाह्श से शादी “मुतबन्नी” की रस्म तोड़ने के लिए किआ (यानि गोद लिए बेटे को सगे बेटे के बराबर समझना)। हज़रत ज़ैद को पवित्र पैगंबर ﷺ का मुहं बोला बेटा कहा जाता था। उनका विवाह हज़रत ज़ैनब बिन्त जहश से हुआ था। हज़रत ज़ायद ने उन्हें इस आधार पर तलाक दे दिया कि वह उनके लिए उचित नहीं थी, फिर पवित्र पैगंबर ने उनसे शादी कर ली और साबित कर दिया कि गोद ली हुई औलाद अपनी औलाद के बराबर नहीं होती ।
7️⃣ हज़रत आयेशा की शादी की उम्र छह या नौ वर्ष थी ये पत्थर की लकीर नहीं है.. क्यों के इस्लामी कानून में शादी की उम्र साल से तय नहीं होती बल्कि शादी की शर्त बालिग़ यानि एडल्ट होना है। यानि जिस भी उम्र में उन की शादी पूर्ण हुई उस समय वो एडल्ट थीं। हदीस की एक किताब में उनकी उम्र ये ज़रूर बताई गयी है मगर ध्यान दें की उस समय लोग उम्र का हिसाब बर्थ सर्टिफिकेट से नहीं रखते थे बल्कि किसी बड़े वाक़ये से जोड़ के रखते थे। तो हो सकता है की बताई गयी उम्र बिलकुल सटीक न हो। दूसरी हदीसो से उनकी उम्र जोड़ कर देखें तो कहीं 12 वर्ष कहीं 17 वर्ष भी आती है. हज़रत आयेशा से शादी के लिए एक औरत ने हमारे पैग़म्बर ﷺ को प्रोपोज़ किआ था जिसका नाम खावला बिन्त हाकिम था… ऊपर दिए बाक़ी बिंदुओं की नज़र में रखते हुए अगर मान भी लिया जाये की उनकी उम्र 9 या 6 साल ही थी तब भी इससे हमारे नबी के करैक्टर पर सवाल नहीं उठता।
8️⃣ इस्लामी ज्ञान का स्रोत पवित्र कुरान और पवित्र पैगंबर की जीवनी है। उनके पवित्र जीवन के हर पहलू को संरक्षित करने के लिए, पुरुषों, और महिलाओं ने विशेष रूप से भूमिका निभाई। हज़रत आयशा (आरए) जो बहुत बुद्धिमान, चतुर और समझदार थीं, पवित्र पैगंबर ﷺ ने उन्हें विशेष रूप से महिलाओं के नियमों और मुद्दों के बारे में सिखाया। हज़रत मुहम्मद की मृत्यु के बाद, हज़रत आयशा 48 साल तक जीवित रहीं और उनसे 2210 हदीसें सुनाई गई हैं। नबी के साथियों को जब किसी मामले में कोई संदेह होता, तो हज़रत आयशा से पूछते थे । इसी तरह हजरत उम्म सलमा की हदीसो की संख्या 368 है।इन परिस्थितियों से यह स्पष्ट हो गया कि नबी की पाकीज़ा पत्नियाों का घर महिलाओं के लिए इस्लाम के स्कूल थे क्योंकि उस समय मीडिया सीमित थी, तो यह काम कितनी मेहनत से किया गया होगा इसका अंदाज़ा लगाना आज के समय में मुश्किल है।
9️⃣ जो लोग हदीस का हवाला देते हैं वो indirectly ये कह रहे हैं की हदीस सही है.. उन लोगो से बाक़ी हज़ारो हदीसें भी मानने की अपील है ताकि आपको इस्लाम की रौशनी नसीब हो.
✅ कुरान में अल्लाह के कहा है : *”उसीने आप पर ये पुस्तक (क़ुर्आन) उतारी है, जिसमें कुछ आयतें सुदृढ़ हैं, जो पुस्तक का मूल आधार हैं तथा कुछ दूसरी संदिग्ध हैं। तो जिनके दिलों में कुटिलता है, वे उपद्रव की खोज तथा मनमाना अर्थ करने के लिए, संदिग्ध के पीछे पड़ जाते हैं। जबकि उनका वास्तविक अर्थ, अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता तथा जो ज्ञान में पक्के हैं, वे कहते हैं कि सब, हमारे पालनहार के पास से है और बुध्दिमान लोग ही शिक्षा ग्रहण करते हैं” (क़ुरान: ३:७)*